Monday 1 April 2024

Holi 2024

शहद से मीठे दोस्त
शब्दों की महफिल
रंगो की हुकूमत
ये होली की गरिमा है

गुलाल के रंग 
दोस्तों के संग,
अजनबी भी आज
अपने हैं
रंगो की जोराजोरी है
सतरंगी महोला है
खुद को खो कर ही 
आज पाना है
ये धूलंडी है

गिले शिकवे कहीं 
नदारद हैं
घेवर और ठंडाई की
बोलबाला है
हिसाब किताब का दिन नहीं 
आज तो ठहाको का मेला है
रिश्तों में मिठास तो, 
खुशियों की बारिश है
ये तो होली है

कान्हा की बांसुरी है
दिल को दिल से मिलाती
जीवन से प्यार सिखाती
फिर भी सदा अलिप्त है
बड़ी गहरी ये पहेली है
मेरा ही मनोदर्पण है
रंग भी तेरा, राग भी तेरा
बस हर ओर है ।

शिवा के नाट्य गृह में
हर पल नया मेला है
तू जो महसूस करे 
वो ही सिर्फ तेरा है
पहचान को धूमिल कर
पंच तत्व में विलीन होना है
आज रंगो में अहम को खोना है 
मुझ को मिटाती, ये तो होली है।।

- Shalu Makhija
March 25, 2024

Monday 29 January 2024

देश प्रेम

 


देश प्रेम


आओ, देश प्रेम पे आज बात करे

दिल के दरवाजे पे दस्तक दे दे 


देश से आई दूर तो जाना

मेरा भारत बड़ा विशाल है

सरहद की हदो से दूर

मेरा भारत हर ओर वर्तमान है

भारत - एक सोच है,

या शायद संस्कार है ।

मुझ में जीता, तुम में जीता

हम सब की सहज पहचान सा,

ज्योग्राफी की परिभाषा से ऊपर भारत 

हम सब में विद्यमान है ।


दिल टटोल के जो बात करे तो 

एक अटूट बंधन सा दिखता है,

पर दिल ये बोले मुझको अब 

Canada भी प्यारा लगता है ।

तिरंगा जहां मस्तक पे रहता,

Red n white भी खूब जचता,

हिंदी और नमस्ते की गरिमा

फ्रेंच इंग्लिश में भी दिखती hai



Fraser की धारा मुझको

गंगा सी पावन दिखती,

पेसिफिक की गुर्राती लहरें ओमकार का नाद सुनाती

हरी भरी इस वसुंधरा में

पावन पाक व फल जब उगते हैं

पंजाब के खेत खलिहान

सहज याद आ जाते हैं

Cypress की ऊंची चोटी पे 

मेरे शिवा मुझे मिलते हैं


देश देश के लोग यहां

भारत की विविधता याद दिलाते है

Multicuisine खाना मुझे

गुजरात से चेन्नई का स्मरण

कराता है

Taylor Swift ke गानों में भी

सारेगामा की धुन रमती है

बढ़ते हुए high Tech India पे

हरदम मैं इतराती हूं 

तो देख, कुदरत की मेहर यहां पे,

हर पल कृतज्ञ बन जाती 


दूर से मुझे अब भारत

इंसानों का महा सागर लगता है

क्षमता में अति बलवान,

ये कई संस्कृतियों का जन्मस्थान दिखता है

परिपेक्ष जो बदल के देखू

भारत, मां के घर सा लगता है

प्यार, अपनापन और सुकून

सांसों में भर जाता है


मुझ में जीता, तुझ में जीता

हर दिल में भारत जीता है

Canada ki सुंदर वादियों में

मेरा भारत भी धड़कता है।।


शालू मखीजा

 22nd Jan 2023


Tuesday 23 January 2024

चैन का secret

 


चैन का secret

 

सुबह के alarm ki आवाज थी

या शेयर मार्केट के Dip ki चीख

 

कुछ भी हो दोस्तों

आंख मीच के बस

अनसुना कर दिया मैंने

 

चाय की प्याली पे

ना खैर खबर हमने ली

बाते अब नोक झोंक बन गई

बिन लड़े ही हस्ते हस्ते,

हार मान ली मैंने

 

कुछ हासिल करने की चाहत

किताबों में दब गई

कार्य के मायने बदले

Payroll पे भी अब पॉलिटिक्स होता

आय व्यय के समीकरण को

अनदेखा कर दिया मेंने

 

 

घर आई तो देखा

काम फैला हर कोने में

सफाई और समझ

दोनों ही नदारद हो गए

मैं चैन की नींद सोई।

 

'ना होना' उपहार बन गया अब तो,

बड़ी देर से जाना मैंने

 

नजरंदाज करना ही अब

अंदाज बन गया मेरा ।।


- Shalu Makhija

Sunday 21 January 2024

मंजिल कहाँ रास्ता कहाँ…

 

मंजिल कहाँ रास्ता कहाँ…


सोचते  सोचते सोच धूमिल हो गयी ।

खोजते खोजते खोज ही बदल गयी ।

चलते चलते रस्ते बदल गए ।
चाहत को पाने की ज़िद में चाहत ही बदल गयी ।

ना वजूद अपना देखके शब्द मौन हो गए ।
आँसू भी अब शिकवा करना भूल गए ।

कठोर थे जो कभी वो फैसले बदल गए ।
अर्थ जानते तब तक मायने ही बदल गए ।

उम्मीद की दिखाई दिशा भी बदल गयी ।
कुछ हम बदले तो कुछ तुम भी तो बदल गए ।

प्यार था जिस मंज़िल से वो मंज़िल भी बदल गयी ।
किस से शिकायत करे नज़रिए ही बदल गए।

©Shalu Makhija

Tuesday 16 January 2024

Hindu Heritage- Sanatan Dharma

 

आओ , हिन्दू धर्म पे आज बात करें,

धरोहर से वर्तमान को प्रकाशित करें

 

कैलाश के शिखरों में बसता

गंगा के प्रवेग में बहता

ओमकार की ध्वनि में रहता

सत्य सनातन ये समझाता

धर्म हमारा 'करुणा' कहलाता

 

चिता की राख से खूब संवरता

योगी की विरक्ति में सजता

वैदिक ज्ञान से मार्ग दिखाता

प्राणायाम से संगीत बनाता

धर्म हमारा 'योगा' कहलाता

 

पिता के कर्मठ हाथो में पलता

माँ की आस्था में यूं निखरता

मदद को उठे हर उस हाथ में

आती जाती हर एक साँस में

धर्म मेरा 'मानवता' सिखाता

 

रीति रिवाजों से ऊँचा ये

अर्थ अनुवादों से परे ये

अहंकार पे मंद मुस्काए

कर्म योग के पथ पे चलता

भक्ति और भिक्षा में बसता

धर्म हमारा 'सांख्य योग' समझाता

 

जो आया है , उसे जाना है

जो आज तुम्हारा है ,

वो कल किसी ओर का होना है

पहचानो उस ऊर्जा को खुद में,

जो हरदम अविरत बहती है

जान जो लोगे तुम उस

परम स्वरूप को,

तुम भी 'ईश्वर' बन जाओगे

 

पुकारो माँ को किसी भी नाम से,

क्या रूप उसका बदलता है

रचयिता ने रचना की है,

ईश्वर तो हर कण में बसता है।

 सत्य सनातन ये समझाता,

धर्म हमारा 'निर्वाणा' कहलाता ।।

 

© Shalu Makhija

Nov 22, 2022

नए साल की शुरुआत


For the ending year, few words from my side,

थोड़े थोड़े रंग भर के
आखिर एक तस्वीर बन गई,
शब्दों को परोते परोते
ये देखो अब कविता बन गई ।

साल खत्म होने को आया तो
नई उम्मीदें बन गई,
मैंने पीछे जो मुड़के देखा
नए रिश्तों की एक डोर बन गई ।
खट्टे मीठे किस्सों से होके
मैं थोड़ी और समझदार बन गई,😊
यां हर दिन की नई कहानी 
मुझे फिर से विद्यार्थी बना गई ।

हाँ, जानती हूं की इस वर्ष भी
कुछ पत्ते  जवानी में झड़ गए,
जाने अंजाने इतिहास ने
कुछ और शहादातों के किस्से लिख दिए,
सही गलत के वो ही सवाल
फिर से उठ गए,
पर मैं ने ये जाना 
दिल में प्यार और करुणा
अब भी रोए ।

मैं तो जिंदगी को 
खुली बाहों से पुकारूं
आंखों में हसी,  दिल में प्यार 
को थोड़ा और भर लूं 
नए साल की इस चौखट पे
सर्जन की जादूगरी
को मैं सहज, सहर्ष स्वीकार लूं ।।

🙏🙏

30th December 2023