Saturday, 23 November 2024

ख्वाब से हकीकत तक...

 


**** Something from Memory Lane --  I wrote back in 2016 ... words still keep resonating - Life is too cyclical!!

ख्वाब से हकीकत तक...

सफ़रनामा लिखना है।।
ख्वाब से हकीक़त का
एक सपना जो संजोया था
उस से इसी जिंदगी में मिलने का
सफ़रनामा लिखना है ।।


बार बार रुके, बहुत बार टूटे
हर सवाल ने नया जवाब दिया ।
हर हार ने नयी राह दिखाई।
उन सवालो और जवाबों का
सिलसिला आज लिखना है।॥


ख्वाब बड़ा प्यारा था
हर पल हाथ थामे था।
कुछ अपने बिछड़ गए
कुछ नए रिश्ते बनते गए।
कहीं यादे बन गयी
कहीं दर्द ठहर गया।
उन यादों और दर्द का
एक बहीखाता लिखना है।
सफ़रनामा लिखना है।।


विश्वास ने उम्मीद का
दामन थाम रखा है।
ख्वाब ने हकीकत से
मिलने का वादा जो किया है।
मंज़िल की और जाते
उस रास्ते को गले लगा लिया ।
बस आज उन कदमो का
हिसाब हमें देना है।
जिंदगी की किताब का
हर नया पन्ना हमें लिखना है।
सफ़रनामा लिखना है।।

©Shalu Makhija
Nov. 16




Thursday, 25 July 2024

किताब सी ज़िंदगी+

 किताब सी ज़िंदगी+


मुझे तो अब जिंदगी ही

एक किताब सी लगती है,

बचपन से जवानी तक

कहानी लिखने का मन करता था,

ख्वाहिशों के मेले में

रंग भरने का मन करता था,

कुछ मिटाके फिर बनाना,

आसान प्रतीत होता था  


अब बस इस किताब को

पढ़ने का मन करता है,

जैसे कि कहानी स्वयं

आकार ले रही हैं,

मैं तो बस दूर एक कोने में

खड़ी तमाशा देख रही हूं,

बनना, बिगड़ना अब एक 

खेल लग रहा है,

और मैं खुद को सूत्रधार मान के

बेकार ही इतरा रही थी 


सारी इच्छाएं , महत्वाकांक्षाएं

अब अर्थहीन ज्ञात हो रही है,

हवा का एक झोंका 

और ये दाव आखरी होगा,

कुछ पल का मेला 

बस मुस्कुराके दूर से ही 

देखने को सज हो रही हूं।।


July 25th 2024

 ©Shalu Makhija

Monday, 8 July 2024

ऊँची उड़ान


 


संभल संभल के बहुत चल लिया

ऊँची उड़ान अब भरने दो ।

हिसाब किताब से मन भर गया
अब बेहिसाब कदम बढ़ाने दो ।

दिन-वार के मेल मिलाये
समय से परे अब जाने दो ।

नाप तोल के सीमा है बनायीं
असीम अविरत अब बहने दो ।

जाँच परख के हाथ मिलाये
बेफिक्र गलतियाँ अब करने दो ।

जज़्बातों को ना पहचाना
आज मेरी कलम को लिखने दो

जान पहेचान से दोस्त बनाये ।
अंजान राह पे अब जाने दो।

दिल की चाहत पे पेहरे लगाये
बेहद महोब्बत अब करने दो ।

किनारे पे नौका खूब चलायी
अब तो सफर पे जाने दो ।

कौन सा पल आखरी होगा
ऊँची उड़ान अब भरने दो ।।

© Shalu Makhija 14-02-17

Monday, 1 April 2024

Holi 2024


शहद से मीठे दोस्त
शब्दों की महफिल
रंगो की हुकूमत
ये होली की गरिमा है

गुलाल के रंग 
दोस्तों के संग,
अजनबी भी आज
अपने हैं
रंगो की जोराजोरी है
सतरंगी महोला है
खुद को खो कर ही 
आज पाना है
ये धूलंडी है

गिले शिकवे कहीं 
नदारद हैं
घेवर और ठंडाई की
बोलबाला है
हिसाब किताब का दिन नहीं 
आज तो ठहाको का मेला है
रिश्तों में मिठास तो, 
खुशियों की बारिश है
ये तो होली है

कान्हा की बांसुरी है
दिल को दिल से मिलाती
जीवन से प्यार सिखाती
फिर भी सदा अलिप्त है
बड़ी गहरी ये पहेली है
मेरा ही मनोदर्पण है
रंग भी तेरा, राग भी तेरा
बस हर ओर है ।

शिवा के नाट्य गृह में
हर पल नया मेला है
तू जो महसूस करे 
वो ही सिर्फ तेरा है
पहचान को धूमिल कर
पंच तत्व में विलीन होना है
आज रंगो में अहम को खोना है 
मुझ को मिटाती, ये तो होली है।।

- Shalu Makhija
March 25, 2024

Monday, 29 January 2024

देश प्रेम

 


देश प्रेम


आओ, देश प्रेम पे आज बात करे

दिल के दरवाजे पे दस्तक दे दे 


देश से आई दूर तो जाना

मेरा भारत बड़ा विशाल है

सरहद की हदो से दूर

मेरा भारत हर ओर वर्तमान है

भारत - एक सोच है,

या शायद संस्कार है ।

मुझ में जीता, तुम में जीता

हम सब की सहज पहचान सा,

ज्योग्राफी की परिभाषा से ऊपर भारत 

हम सब में विद्यमान है ।


दिल टटोल के जो बात करे तो 

एक अटूट बंधन सा दिखता है,

पर दिल ये बोले मुझको अब 

Canada भी प्यारा लगता है ।

तिरंगा जहां मस्तक पे रहता,

Red n white भी खूब जचता,

हिंदी और नमस्ते की गरिमा

फ्रेंच इंग्लिश में भी दिखती hai



Fraser की धारा मुझको

गंगा सी पावन दिखती,

पेसिफिक की गुर्राती लहरें ओमकार का नाद सुनाती

हरी भरी इस वसुंधरा में

पावन पाक व फल जब उगते हैं

पंजाब के खेत खलिहान

सहज याद आ जाते हैं

Cypress की ऊंची चोटी पे 

मेरे शिवा मुझे मिलते हैं


देश देश के लोग यहां

भारत की विविधता याद दिलाते है

Multicuisine खाना मुझे

गुजरात से चेन्नई का स्मरण

कराता है

Taylor Swift ke गानों में भी

सारेगामा की धुन रमती है

बढ़ते हुए high Tech India पे

हरदम मैं इतराती हूं 

तो देख, कुदरत की मेहर यहां पे,

हर पल कृतज्ञ बन जाती 


दूर से मुझे अब भारत

इंसानों का महा सागर लगता है

क्षमता में अति बलवान,

ये कई संस्कृतियों का जन्मस्थान दिखता है

परिपेक्ष जो बदल के देखू

भारत, मां के घर सा लगता है

प्यार, अपनापन और सुकून

सांसों में भर जाता है


मुझ में जीता, तुझ में जीता

हर दिल में भारत जीता है

Canada ki सुंदर वादियों में

मेरा भारत भी धड़कता है।।


शालू मखीजा

 22nd Jan 2023


Tuesday, 23 January 2024

चैन का secret

 


चैन का secret

 

सुबह के alarm ki आवाज थी

या शेयर मार्केट के Dip ki चीख

 

कुछ भी हो दोस्तों

आंख मीच के बस

अनसुना कर दिया मैंने

 

चाय की प्याली पे

ना खैर खबर हमने ली

बाते अब नोक झोंक बन गई

बिन लड़े ही हस्ते हस्ते,

हार मान ली मैंने

 

कुछ हासिल करने की चाहत

किताबों में दब गई

कार्य के मायने बदले

Payroll पे भी अब पॉलिटिक्स होता

आय व्यय के समीकरण को

अनदेखा कर दिया मेंने

 

 

घर आई तो देखा

काम फैला हर कोने में

सफाई और समझ

दोनों ही नदारद हो गए

मैं चैन की नींद सोई।

 

'ना होना' उपहार बन गया अब तो,

बड़ी देर से जाना मैंने

 

नजरंदाज करना ही अब

अंदाज बन गया मेरा ।।


- Shalu Makhija

Sunday, 21 January 2024

मंजिल कहाँ रास्ता कहाँ…

 

मंजिल कहाँ रास्ता कहाँ…


सोचते  सोचते सोच धूमिल हो गयी ।

खोजते खोजते खोज ही बदल गयी ।

चलते चलते रस्ते बदल गए ।
चाहत को पाने की ज़िद में चाहत ही बदल गयी ।

ना वजूद अपना देखके शब्द मौन हो गए ।
आँसू भी अब शिकवा करना भूल गए ।

कठोर थे जो कभी वो फैसले बदल गए ।
अर्थ जानते तब तक मायने ही बदल गए ।

उम्मीद की दिखाई दिशा भी बदल गयी ।
कुछ हम बदले तो कुछ तुम भी तो बदल गए ।

प्यार था जिस मंज़िल से वो मंज़िल भी बदल गयी ।
किस से शिकायत करे नज़रिए ही बदल गए।

©Shalu Makhija