Saturday, 23 November 2024
ख्वाब से हकीकत तक...
Thursday, 25 July 2024
किताब सी ज़िंदगी+
किताब सी ज़िंदगी+
मुझे तो अब जिंदगी ही
एक किताब सी लगती है,
बचपन से जवानी तक
कहानी लिखने का मन करता था,
ख्वाहिशों के मेले में
रंग भरने का मन करता था,
कुछ मिटाके फिर बनाना,
आसान प्रतीत होता था ।
अब बस इस किताब को
पढ़ने का मन करता है,
जैसे कि कहानी स्वयं
आकार ले रही हैं,
मैं तो बस दूर एक कोने में
खड़ी तमाशा देख रही हूं,
बनना, बिगड़ना अब एक
खेल लग रहा है,
और मैं खुद को सूत्रधार मान के
बेकार ही इतरा रही थी ।
सारी इच्छाएं , महत्वाकांक्षाएं
अब अर्थहीन ज्ञात हो रही है,
हवा का एक झोंका
और ये दाव आखरी होगा,
कुछ पल का मेला
बस मुस्कुराके दूर से ही
देखने को सज हो रही हूं।।
July 25th 2024
©Shalu Makhija
Monday, 8 July 2024
ऊँची उड़ान
ऊँची उड़ान अब भरने दो ।
© Shalu Makhija 14-02-17
Monday, 1 April 2024
Holi 2024
Monday, 29 January 2024
देश प्रेम
देश प्रेम
आओ, देश प्रेम पे आज बात करे
दिल के दरवाजे पे दस्तक दे दे
देश से आई दूर तो जाना
मेरा भारत बड़ा विशाल है
सरहद की हदो से दूर
मेरा भारत हर ओर वर्तमान है
भारत - एक सोच है,
या शायद संस्कार है ।
मुझ में जीता, तुम में जीता
हम सब की सहज पहचान सा,
ज्योग्राफी की परिभाषा से ऊपर भारत
हम सब में विद्यमान है ।
दिल टटोल के जो बात करे तो
एक अटूट बंधन सा दिखता है,
पर दिल ये बोले मुझको अब
Canada भी प्यारा लगता है ।
तिरंगा जहां मस्तक पे रहता,
Red n white भी खूब जचता,
हिंदी और नमस्ते की गरिमा
फ्रेंच इंग्लिश में भी दिखती hai
Fraser की धारा मुझको
गंगा सी पावन दिखती,
पेसिफिक की गुर्राती लहरें ओमकार का नाद सुनाती
हरी भरी इस वसुंधरा में
पावन पाक व फल जब उगते हैं
पंजाब के खेत खलिहान
सहज याद आ जाते हैं
Cypress की ऊंची चोटी पे
मेरे शिवा मुझे मिलते हैं
देश देश के लोग यहां
भारत की विविधता याद दिलाते है
Multicuisine खाना मुझे
गुजरात से चेन्नई का स्मरण
कराता है
Taylor Swift ke गानों में भी
सारेगामा की धुन रमती है
बढ़ते हुए high Tech India पे
हरदम मैं इतराती हूं
तो देख, कुदरत की मेहर यहां पे,
हर पल कृतज्ञ बन जाती
दूर से मुझे अब भारत
इंसानों का महा सागर लगता है
क्षमता में अति बलवान,
ये कई संस्कृतियों का जन्मस्थान दिखता है
परिपेक्ष जो बदल के देखू
भारत, मां के घर सा लगता है
प्यार, अपनापन और सुकून
सांसों में भर जाता है
मुझ में जीता, तुझ में जीता
हर दिल में भारत जीता है
Canada ki सुंदर वादियों में
मेरा भारत भी धड़कता है।।
शालू मखीजा
22nd Jan 2023
Tuesday, 23 January 2024
चैन का secret
चैन का secret
सुबह के alarm ki आवाज थी
या शेयर मार्केट के Dip ki चीख
कुछ भी हो दोस्तों
आंख मीच के बस
अनसुना कर दिया मैंने
चाय की प्याली पे
ना खैर खबर हमने ली
बाते अब नोक झोंक बन गई
बिन लड़े ही हस्ते हस्ते,
हार मान ली मैंने
कुछ हासिल करने की चाहत
किताबों में दब गई
कार्य के मायने बदले
Payroll पे भी अब पॉलिटिक्स होता
आय व्यय के समीकरण को
अनदेखा कर दिया मेंने
घर आई तो देखा
काम फैला हर कोने में
सफाई और समझ
दोनों ही नदारद हो गए
मैं चैन की नींद सोई।
'ना होना' उपहार बन गया अब तो,
बड़ी देर से जाना मैंने
नजरंदाज करना ही अब
अंदाज बन गया मेरा ।।
- Shalu Makhija
Sunday, 21 January 2024
मंजिल कहाँ रास्ता कहाँ…
मंजिल कहाँ रास्ता कहाँ…
सोचते सोचते सोच धूमिल हो गयी ।
खोजते खोजते खोज ही बदल गयी ।
Sunday, 14 January 2024
नई शुरुआत
नई शुरुआत
एक नई शुरुआत करें
एक नया संकल्प करें
लोहड़ी है आज
चलो नया अध्याय लिखें
वो बुरे दिन बीत गए
देर से ही सही,
वो काली रात खत्म हुई
चलो नई शुरुआत करें
हंसी खुशी का माहौल हो
आदर सत्कार से स्वागत हो
प्यार जहां संस्कार हो
कला साहित्य से जहां प्यार हो
चलो नया संकल्प करें
ऊंची हमारी उड़ान हो
सबके साथ दोस्ती हो
धागा और पतंग दोनों ही
इज्जत और प्यार से बंधे हो
चलो नई शुरुआत करें
कुछ खट्टी मीठी मस्ती हो
दोस्तों की महफ़िल हो
गाने के संग संग,
शब्दों और धुन के रंग हो
हमारी ऐसी जुगलबंदी हो
लोहड़ी है आज
चलो नया अध्याय लिखें ।।
©Shalu Makhija
इतनी सी बात
मौन
Saturday, 13 January 2024
मैं कौन
Friday, 12 January 2024
Hindi - The Dialogue with Hindi Language
The Dialogue with Hindi Language
हिंदी तू सिर्फ बोली कहां है
विचारों की जलधारा ह
संवादों की आत्मीयता है
रिश्तों की घनिष्ठता है
तो मोक्ष का प्रथम द्वार है ।
प्यार महोब्वत में तू खीर बन जाती,
अपनो की शिकायत में मिर्ची सी लगती,
मनोस्थल की मरुभूमि में, चेतना का जल तू लाती है
आवेगों की आंधी को, सही दिशा तू दिखलाती है
हिंदी तू सिर्फ बोली कहां है
संवादों की आत्मीयता है ।
कभी तू English , कभी उर्दू से मिल जाती
तेरी दोस्ती तो हमें खूब सुहाती,
सनातन संस्कृत से तेरा, उद्घोष हुआ है
पंचामृत से परिपूर्ण है ।
हिंदी तू सिर्फ बोली कहां है
विचारों की जलधारा है ।
प्रेमचंद की कहानी में तू रचती
बच्चन जी की मधुशाला में, जिंदगी के रंग भर देती
गुलज़ार के गीतों में क्या खूब तू इठलाती है
शब्दों के तेरे इस खज़ाने से,
हर अभिव्यक्ति, इत्र बन जाती है।
हिंदी तू सिर्फ बोली कहां है
रिश्तों की घनिष्ठता है ।
खुशी में तू ठहाके बन जाती
दर्द में एक हमदर्द सी लगती,
या ये कहूं, दर्द में तुम जगजीत की ग़ज़ल बन जाती,
दिल से दिल के रिश्तों में
तू ही तो हमराज़ है
परदेस में भी तेरे आने से, पलभर में ही मेरा देस, मेरा भारत, बस जाता है।।
हिंदी तू सिर्फ बोली कहां है
विचारों की जलधारा है
-
©Shalu Makhija