कोई दर्द गिन रहा
कोई ज़ख्म लिख रहा
कौन इन्हे समझाए
हंसी खुशी है अनमोल
बस इसी को तुम सहेजो
कोई धन छिपा रहा
कोई दौलत दिखा रहा
कौन इन्हे समझाए
प्यार है सिर्फ कीमती
बस इसीको तुम पा लो
कोई अहंकार से इतरा रहा
कोई तवज्जो की लड़ाई में उलझा रहा
कौन इन्हे समझाए
विनम्रता ही जीवन है
सीख सको तो सीख लो
कोई सफलता के नशे में गुम
तो कोई निष्फलता से हारा
कौन इन्हे समझाए
बन जाओगे तुम हर सांस के आभारी जो,
जीत जाओगे यूं ही जग को
कटु विचार से भ्रमित होते
और कटु बोली से होते वो जो हावी
कौन इन्हें समझाए
सम्मान तो आदर से ही मिलता
जान लो पहले देना इसको ।
कोई समृद्धि के शीर्ष पे बैठा
कोई निवृति को कदम गिनता
कौन इन्हे समझाए
"हरि बोल" में दोनो स्थित हैं
अर्जित यह ज्ञान अब कर लो।।
-Shalu Makhija
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