चैन का secret
सुबह के alarm ki आवाज थी
या शेयर मार्केट के Dip ki चीख
कुछ भी हो दोस्तों
आंख मीच के बस
अनसुना कर दिया मैंने
चाय की प्याली पे
ना खैर खबर हमने ली
बाते अब नोक झोंक बन गई
बिन लड़े ही हस्ते हस्ते,
हार मान ली मैंने
कुछ हासिल करने की चाहत
किताबों में दब गई
कार्य के मायने बदले
Payroll पे भी अब पॉलिटिक्स होता
आय व्यय के समीकरण को
अनदेखा कर दिया मेंने
घर आई तो देखा
काम फैला हर कोने में
सफाई और समझ
दोनों ही नदारद हो गए
मैं चैन की नींद सोई।
'ना होना' उपहार बन गया अब तो,
बड़ी देर से जाना मैंने
नजरंदाज करना ही अब
अंदाज बन गया मेरा ।।
- Shalu Makhija
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