Monday, 1 April 2024

Holi 2024


शहद से मीठे दोस्त
शब्दों की महफिल
रंगो की हुकूमत
ये होली की गरिमा है

गुलाल के रंग 
दोस्तों के संग,
अजनबी भी आज
अपने हैं
रंगो की जोराजोरी है
सतरंगी महोला है
खुद को खो कर ही 
आज पाना है
ये धूलंडी है

गिले शिकवे कहीं 
नदारद हैं
घेवर और ठंडाई की
बोलबाला है
हिसाब किताब का दिन नहीं 
आज तो ठहाको का मेला है
रिश्तों में मिठास तो, 
खुशियों की बारिश है
ये तो होली है

कान्हा की बांसुरी है
दिल को दिल से मिलाती
जीवन से प्यार सिखाती
फिर भी सदा अलिप्त है
बड़ी गहरी ये पहेली है
मेरा ही मनोदर्पण है
रंग भी तेरा, राग भी तेरा
बस हर ओर है ।

शिवा के नाट्य गृह में
हर पल नया मेला है
तू जो महसूस करे 
वो ही सिर्फ तेरा है
पहचान को धूमिल कर
पंच तत्व में विलीन होना है
आज रंगो में अहम को खोना है 
मुझ को मिटाती, ये तो होली है।।

- Shalu Makhija
March 25, 2024

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