Sunday, 14 January 2024

नई शुरुआत

 

नई शुरुआत


एक नई शुरुआत करें 

एक नया संकल्प करें 

लोहड़ी है आज


चलो नया अध्याय लिखें 


वो बुरे दिन बीत गए

देर से ही सही,

वो काली रात खत्म हुई

चलो नई शुरुआत करें 


हंसी खुशी का माहौल हो

आदर सत्कार से स्वागत हो

प्यार जहां संस्कार हो

कला साहित्य से जहां प्यार हो

चलो नया संकल्प करें 


ऊंची हमारी उड़ान हो

सबके साथ दोस्ती हो

धागा और पतंग दोनों ही

इज्जत और प्यार से बंधे हो

चलो नई शुरुआत करें 


कुछ खट्टी मीठी मस्ती हो

दोस्तों की महफ़िल हो

गाने के संग संग,

शब्दों और धुन के रंग हो

हमारी ऐसी जुगलबंदी हो


लोहड़ी है आज

चलो नया अध्याय लिखें ।।

 ©Shalu Makhija


जीवन का haiku



आंखो में अग्नि
या हो अश्रु की धारा
यही ज़िंदगी

खुशी या गम
अनुभव असीम
छोटी ज़िंदगी


सुख ये जाता
दुख ना ठहरता
कोरी ज़िंदगी ।।









इतनी सी बात


इतनी सी बात


कोई दर्द गिन रहा 
कोई ज़ख्म लिख रहा 
कौन इन्हे समझाए
हंसी खुशी है अनमोल
बस इसी को तुम सहेजो 

कोई धन छिपा रहा
कोई दौलत दिखा रहा
कौन इन्हे समझाए
प्यार है सिर्फ कीमती
बस इसीको तुम पा लो

कोई अहंकार से इतरा रहा
कोई तवज्जो की लड़ाई में उलझा रहा
कौन इन्हे समझाए
विनम्रता ही जीवन है
सीख सको तो सीख लो

कोई सफलता के नशे में गुम 
तो कोई निष्फलता से हारा
कौन इन्हे समझाए
बन जाओगे तुम हर सांस के आभारी जो, 
जीत जाओगे यूं ही जग को

कटु विचार से भ्रमित होते 
और कटु बोली से होते वो जो हावी
कौन इन्हें समझाए
सम्मान तो आदर से ही मिलता
जान लो पहले देना इसको ।

कोई समृद्धि के शीर्ष पे बैठा
कोई निवृति को कदम गिनता
कौन इन्हे समझाए
"हरि बोल" में दोनो स्थित हैं
अर्जित यह ज्ञान अब कर लो।।

-Shalu Makhija


मौन



मौन 

मैं अविरत तुझे बाहर ढूंढ रही थी,
तुम भीतर में, मेरे यूं मुस्कुरा रहे थे ।

मैं क्षितिज को नाप ने चली थी,
तुम हवा बनके यूं ही सहज छू रहे थे ।


मैं परछाई को सच मान, भटक सी गई थी,
तुम खुशबू बनके सांसों में चल रहे थे ।

अब तो  उस सफ़र पे चल पड़ी हूं
जहां मौन की महिमा है

शब्द यहां आकर वजूद खो देते हैं
प्रेम भक्ति बन जाता है
घाव सरगम से लगते हैं
करुणा रोम रोम बसती है।

सफ़र की ना जाने कोई 
मंजिल भी है, 
बस मौन से मेरा परिचय करा दे, 
अब तो मुझे शंभो, तू तुझ में मिला दे ।।

- Shalu Makhija