संभल
संभल के बहुत चल लिया
ऊँची उड़ान अब भरने दो ।
हिसाब
किताब से मन भर गया
अब बेहिसाब कदम बढ़ाने दो ।
दिन-वार
के मेल मिलाये
समय से परे अब जाने दो ।
नाप
तोल के सीमा है बनायीं
असीम अविरत अब बहने दो ।
जाँच
परख के हाथ मिलाये
बेफिक्र गलतियाँ अब करने दो ।
जज़्बातों
को ना पहचाना
आज मेरी कलम को लिखने दो
जान
पहेचान से दोस्त बनाये ।
अंजान राह पे अब जाने दो।
दिल
की चाहत पे पेहरे लगाये
बेहद महोब्बत अब करने दो ।
किनारे
पे नौका खूब चलायी
अब तो सफर पे जाने दो ।
कौन
सा पल आखरी होगा
ऊँची उड़ान अब भरने दो ।।
© Shalu Makhija 14-02-17