Monday, 8 July 2024

ऊँची उड़ान


 


संभल संभल के बहुत चल लिया

ऊँची उड़ान अब भरने दो ।

हिसाब किताब से मन भर गया
अब बेहिसाब कदम बढ़ाने दो ।

दिन-वार के मेल मिलाये
समय से परे अब जाने दो ।

नाप तोल के सीमा है बनायीं
असीम अविरत अब बहने दो ।

जाँच परख के हाथ मिलाये
बेफिक्र गलतियाँ अब करने दो ।

जज़्बातों को ना पहचाना
आज मेरी कलम को लिखने दो

जान पहेचान से दोस्त बनाये ।
अंजान राह पे अब जाने दो।

दिल की चाहत पे पेहरे लगाये
बेहद महोब्बत अब करने दो ।

किनारे पे नौका खूब चलायी
अब तो सफर पे जाने दो ।

कौन सा पल आखरी होगा
ऊँची उड़ान अब भरने दो ।।

© Shalu Makhija 14-02-17